Thursday, August 30, 2018

भीमा कोरेगांव: संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे जैसों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?

भीमा कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में वामपंथ की ओर रुझान रखने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की देश भर से हुई गिरफ़्तारियों के बाद एक अहम सवाल खड़ा हुआ है. सवाल ये है कि इसी मामले में प्रमुख अभियुक्त संभाजी भिडे के ख़िलाफ़ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है.
पुणे के एसपी (ग्रामीण) संदीप पाटील ने बीबीसी मराठी से बातचीत में कहा कि शिव प्रतिष्ठान के संभाजी भिडे और समस्त हिंदू अघाड़ी के मिलिंद एकबोटे के ख़िलाफ़ अगले 15-20 दिनों में एक चार्जशीट दायर की जाएगी.
पाटील ने कहा, "दोनों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दाख़िल करने की तैयारियां चल रही हैं और अगले 15-20 दिनों में यह काम पूरा हो जाएगा."
1 जनवरी, 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के अगले दिन पिंपरी चिंचवाड़ की अनीता सावले ने इस सिलसिले में पिंपरी पुलिस स्टेशन में शिक़ायत दर्ज कराई थी. इस शिक़ायत में संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे को अभियुक्त बनाया गया था.
शिक़ायत दर्ज किए जाने के साढ़े तीन महीने बाद 14 मार्च को मिलिंद एकबोटे को गिरफ़्तार कर लिया गया था. इसके बाद अगले महीने यानी अप्रैल में उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था. वहीं, संभाजी भिडे को इस मामले में अब तक गिरफ़्तार नहीं किया गया है.
एसपी संदीप पाटील कहते हैं, "मैं कुछ दिनों पहले ही यहां का एसपी नियुक्त हुआ हैं. मैं कुछ ज़रूरी कागज़ातों को देख लूं, फिर इस बारे में बात कर पाऊंगा."
इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने मार्च, 2018 में कहा था कि भीमा कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में संभाजी भिडे के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला है. ये बयान उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा में दिया था.
उन्होंने कहा था, "जिस महिला ने शिक़ायत की अर्ज़ी डाली थी उसने दावा किया था कि उसने संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे को भीमा कोरेगांव में दंगों का नेतृत्व करते देखा था. हमने उसी के मुताबिक शिकायत दर्ज की थी. लेकिन जब मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में महिला ने कहा कि न तो वो संभाजी भिडे गुरुजी को जानती हैं और न ही उन्होंने कभी उन्हें देखा है. मजिस्ट्रेट के सामने उन्होंने बस इतना ही कहा कि उन्होंने ऐसा सुना कि संभाजी भिडे दंगे करा रहे हैं. अब तक पुलिस को ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है जिससे साबित हो कि गुरुजी हिंसा में शामिल थे."
बीबीसी मराठी ने जब शिकायतकर्ता अनीता सावले से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि देवेंद्र फड़णवीस ने उनके बयान की ग़लत तरीके से व्याख्या की है.
उन्होंने कहा, "हो सकता है कि मुख्यमंत्री ने एफ़आईआर ठीक से पढ़ी ही न हो. उन्होंने पूरे मामले को ग़लत तरीके से समझ लिया हो. जहां तक संभाजी भिड़े की बात है तो उन्हें पहले ही गिरफ़्तार कर लिया जाना चाहिए था. अगर उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर है और वो संदिग्ध अभियुक्त हैं तो उन्हें गिरफ़्तार करके अदालत में पेश किया जाना चाहिए."
अनीता ने कहा कि उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में संभाजी भिड़े की गिरफ़्तारी के लिए याचिका भी डाली थी. याचिका जून में दायर की गई थी, लेकिन उस पर सुनवाई अब तक शुरू नहीं हुई है.
उन्होंने कहा, "हम पहले दिन से यह सच बताते आए हैं कि यहां जो कुछ भी हुआ उसमें गुरुजी शामिल नहीं थे. जांच एजेंसियां इस पर पिछले आठ महीने से काम कर रही हैं और उन्हें भिड़े गुरुजी के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला है."
चौगुले ने कहा, "अगर जांच एजेंसियां काम नहीं कर रही हैं तो जो लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्हें सीधे एसेंजियों को सबूत दे देना चाहिए या इन्हें अदालत में पेश करना चाहिए. अगर वो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें कम से कम मीडिया के सामने सबूत रखने चाहिए और फिर भिड़े गुरुजी की गिरफ़्तारी की मांग करनी चाहिए. जिन माओवादियों के ख़िलाफ़ इस केस के सिलसिले में सबूत मिले हैं उन्हें जांच एजेंसियों ने गिरफ़्तार किया है और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई हो रही है.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज पीबी सावंत ने कहा, "यह पुलिस के ऊपर निर्भर करता है कि किसी को गिरफ़्तार किया जाए या नहीं. उन्होंने बाक़ियों को गिरफ़्तार कर लिया है, लेकिन उनकी रणनीति ये है कि चाहे जो हो जाए हिंदुत्व के समर्थकों को गिरफ़्तार नहीं करना है. इन लोगों के ऊपर केस सिर्फ़ इसलिए दर्ज हुआ क्योंकि लोगों की तरफ़ से दबाव था. लेकिन सबूत जुटाने और अदालत में पेश किए जाने में पूरी लापरवाही बरती गई है. बाद में उन्हें बेगुनाह बता दिया जाएगा."
जस्टिस सावंत का कहना है कि हिंदुत्व के समर्थक चाहे जैसे भी आपराधिक काम करें उन्हें इस सरकार के रहते कोई सज़ा नहीं मिलेगी, उन्हें सरकार से सुरक्षा मिली है. संभाजी भिड़े के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी दोस्तान रिश्ते रहे हैं.
मोदी ने रायगढ़ से दिए अपने एक भाषण में कहा था, "मैं भिड़े गुरुजी को कई बरसों से जानता हूं. उनकी सादगी, मेहनत, लक्ष्य के लिए समर्पण और अनुशासन हर किसी के लिए आदर्श हैं. वो एक महान व्यक्ति और साधु हैं. मैं उनके आदेशों का पालन करता हूं. मैं उनके सम्मान में अपना सिर झुकाता हूं."
भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद और भिड़े के ख़िलाफ़ शिक़ायत दर्ज होने के बाद फ़रवरी, 2018 में पीएम मोदी ने एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें दोनों एक मंच साझा करते नज़र आए थे.

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